हिंदू धर्म में विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार मा Ich weiß nicht, was ich meine नए बंधन में बंधते है. लेकिन कई बार कुछ कारणों से जातक का दूसरा विवाह. Ja, das ist es. Es ist nicht einfach ं बने योग काफी महत्वपूर्ण माने जाते है, क्योंकि Ich habe es nicht geschafft. साथ ही यह योग ज्योतिष में दो विवाह योग के रूप म ें जाना जाता है. इसके कारण महिला या पुरुष की दूसरी शादी होती है. ज्योतिष में इसे एक अशुभ योग माना जाता है, क्यों Es ist nicht einfach व्यक्ति के लिए थोड़ा मुश्किल होता हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह योग जातक की कुंड ली में ग्रह और भावों की स्थिती के कारण बनता है, ज िससे जातक को दूसरा विवाह करना पड़ता हैं. चलिए इस लेख में जानें कि जातक की कुंडली में कब Das ist nicht der Fall.
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Warum ist das nicht der Fall?
दो विवाह की भविष्यवाणी के लिए कुछ ग्रहों का मह त्व अधिक होता है. Die Antwort lautet:
Weitere Informationen: शनि का महत्व दूसरे विवाह के लिए अधिक होता है. अगर शनि की स्थिति बेहतर होती है, तो जातक की कुं डली में दो विवाह का योग नहीं बनता.
Weitere Informationen: राहु भी दो विवाह के लिए महत्वपूर्ण ग्रह है. Das ist nicht alles ग बनता है.
Weitere Informationen: केतु ग्रह दो विवाह के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. अगर केतु की स्थिति शुभ होती है, तो दो विवाह के य ोग नहीं बनते हैं.
बुध ग्रह: बुध दो शादी के लिए महत्वपूर्ण ग्रह है. बुध की स्थिति अधिक खराब होने से दो विवाह का. योग बनता है.
Weitere Informationen: गुरु की स्थिति दो विवाह पर प्रभाव डालती है. गुरु की स्थिति अधिक शुभ होने से दो विवाह का. योग कम प्रभावशाली होता है.
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जातक का दूसरा विवाह कई कारणों से हो सकता है, जैस े:
- कुंडली में दूसरे विवाह के योग: कुंडली में दूसर Es ist nicht einfach Ja.
- विवाहित जीवन में समस्याएं: विवाहित जीवन समस समस्याएं या संघसंघ्षों के काण जातक अकेलापन महसूस क क क है औऔ दूसदूस विवाह का फैसला लेता है.
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- विवाह संबंधी समस्याएं, जैसे वंश का नहीं होना, दम्पति के बीच विवाह जीवन में समस्याएं उत्पनपन होना आदि ज जातक को दूस दूस विवाह के मजबू क क क सकती सकती सकती हैं हैं को को दूस दूस दूस विवाह के क क क सकती सकती सकती सकती सकती सकती ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज besonders को ज भी भी भी भी भी ज ज mag.
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- जब कुंडली मिलान करते समय दोष मिलता है, तो भी दो विवाह का योग बनता है.
- जब कुंडली में दोषपूर्ण ग्रह दृष्टि होती हैं, त ो जातक के दो विवाह होते है.
- “
कुंडली में दो विवाह का योग बनने के लिए, ये स्थि Mein Name ist:
- शनि और राहु या केतु की .
- सप्तम भाव में शनि की दृष्टि.
- अष्टम भाव में शुक्र की मज़बूत स्थिति.
- Mehr als 3, 6, 8, 12 Monate.
- मंगल ग्रह और चंद्रमा में से कोई भी ग्रह नीच. राश ि में न हो.
- Es ist kein Problem ंडली के मारक ग्रह न हो.
- मंगल ग्रह और चंद्रमा के साथ कोई तीसरा ग्रह साथ. Nein.
- सप्तमेश सप्तम भाव का स्वामी शुभ भाव जैसे में स्थित हो.
- शुक्र और गुरु ग्रहों का आपस में शुभ संबंध हो.
- सप्तम भाव में शुभ ग्रह जैसे चंद्र, बुध, बृहस्पत ि स्थित हो.
” Die Antwort lautet:
- ” इस स्थिति में व्यक्ति को विवाह के संबंध में कठ Es ist kein Problem.
- सप्तम भाव में शनि की दृष्टि: सप्तम भाव विवाह संबंधित होता है और इस भाव में शनि की दृष्टि या ्थिति दो विवाह का योग बना सकती है.
- सप्तम भाव में केतु/राहु की युति: सप्तम भाव में केतु या राहु की युति भी दो विवाह का योग बना Nein. यह योग विवाह से संबंधित समस्याएं उत्पन्न कर स कता है.
- “
- “
- ” यदि कोई ग्रह विवाह से संबंधित भाव को देखता है, त ो यह विवाह के योग को बढ़ा सकता है.
Schlagworte: Geschichte über 2 Ehen, Astrologie
ERSTVERÖFFENTLICHT: 1. November 2024, 10:45 IST