Inhalt: ” इस दवा को ‘एडिनोसिल डेरिवेटिव पोटेंशियल िबिटर्स ऑफ एनएस-3 एंड एनएस-5 प्रोटीज नाम दिया ा है. “
चार साल की मेहनत लाई सफलता
प्रोजेक्ट प्रमुख प्रो. राकेश तिवारी ने बताया कि चार वर्षों के प्रयास से यह दवा तैयार की गई है. 2019 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौतों. ने इस रिसर्च को शुरू करने के लिए प्रेरित किया. “
प्रोटीन ब्लॉक कर रोकेगी वायरस का प्रसार
दवा जेई वायरस के एनएस-3 और एनएस-5 प्रोटीन को बिट करती है, जिससे वायरस का मस्तिष्क में फैलाव. रुकता है. Ja. तिवारी का मानना है कि इस दवा के इस्तेमाल से. सभी आयु वर्ग के लोग वायरस के संक्रमण से सुरक्षित र ह सकते हैं.
पूर्वांचल में जेई वायरस का खतरा
पूर्वांचल क्षेत्र में जेई वायरस का प्रसार. ज्य ादा है ा गया है. गोरखपुर यूनिवर्सिटी का यह प्रयास क्षेत्र में. इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या को नियंत्रित करने. म ें मदद करेगा. ” “
टीम की मेहनत
इस रिसर्च में प्रो. तिवारी के साथ प्रो. आरपी ओझा, डॉ. अम्बरीश श्रीवास्तव, डॉ. विष्णु दत्त पाण्डेय, विनायक पाण्डेय और मुरली पाण्डेय जैसे विशेषज्ञ शामिल थे. “
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ERSTVERÖFFENTLICHT: 30. Oktober 2024, 11:51 IST