दीपावली के दूसरे दिन ही गोवर्धन का त्योहार मन ाया जाता है. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि को पड़ने वाले इस पर्व पर अन्नकूट और गोवर्धन की पूजा की जाती है. मुख्यतः, ये प्रकृति की पूजा है जिसकी शुरुआत भग वान कृष्ण ने की थी. ” ये पूजा ब्रज से आरंभ हुई थी और धीरे-धीरे भारत म ें प्रचलित हो गई.
” उदयातिथि के अनुसार, इस बार गोवर्धन और अन्नकूट का त्योहार 2 वंबर को ही मनाया जाएगा.
गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त (Govardhan Shubh Muhurat)
गोवर्धन पूजना के लिए दो नवंबर को तीन मुहूर्त ह Ja. 6 Minuten, 34 Minuten 8 Tage 46 Minuten vor dem Ende. दूसरा मुहूर्त दोपहर 3 Minuten 23 Minuten und 5 Sekunden Mehr als 35 Minuten. Dauer: 5 Minuten, 35 Minuten und 6 Minuten Vor 01 Minuten.
गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)
इस दिन स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और पू जा स्थल पर बैठ जाएं. फिर एक छोटी सी चौकी पर गोवर्धन की मूर्ति या. प्र तिमा स्थापित करें. इसके बाद गोवर्धन की मूर्ति को पंचामृत से स्ना न कराएं. गोवर्धन की मूर्ति को वस्त्र अर्पित करें. फिर गोवर्धन की मूर्ति को फूलों से सजाएं और साम ने धूप-दीप जलाएं. इसके बाद मूर्ति के सामने भोग लगाकर आरती उतारे ं. फिर मूर्ति की परिक्रमा करें और अंत में प्रसाद वितरण करें.
गोवर्धन पूजा कथा (Govardhan Puja Katha)
” ” माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वंय. क Mehr als 56 Tage धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया दिया था. तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और ह र साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार. मनाया जाता है.
अन्नकूट का महत्व (Annakut Importance)
अन्नकूट का अर्थ ‘अन्न का पर्वत’ होता है. गोवर्धन पूजा के दौरान तरह-तरह की खाद्य चीजों क ा एक पर्वत जैसा आकार बनाया जाता है और इसे. भगवान को चढ़ाया जाता है. इसे ही अन्नकूट कहा जाता है. इस भोग में कढ़ी, चावल, खीर, पूड़ी, सब्जियां औई अन्य व्यंजन शामिल होते हैं. भगवान को अर्पित करने के बाद इसे प्रसाद के रूप. म ें सभी भक्तों में बांटा जाताहै.