सीएम योगी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का UP. उपचुनाव में होगा लिटमस टेस्ट, महाराष्ट्र-झारखंड में भी Ja

सीएम योगी के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का UP. उपचुनाव में होगा लिटमस टेस्ट, महाराष्ट्र-झारखंड में भी Ja


” वजह ये. Es ist nicht einfach ाया है और महाराष्ट्र, झारखंड में भी इसकी गूंज स ुनाई पड़ रही है. ऐसे में ये तय है कि यूपी उपचुनाव की रैलियों और जनसभाओं में ये नारा गूंजेगा. “

उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव स त्तारूढ़ बीजेपी के लिए बहुत अहम है. हालांकि लोकसभा चुनाव में प प्दwirkungen से उत्साहित विपक्ष खास तौ bez. “

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वजह ये कि. “

हरियाणा चुनाव में नारे के सियासी परख से रणनीत िकारों को उम्मीद

” ” अब भाजपा के लिए बहुत अहम यूपी विधानसभा उपचुना व में सारी जिम्मेदारी योगी आदित्यनाथ पर है.

ऐसे में उनकी ब्रांड हिंदुत्व की छवि के साथ सभी. जातियों को एकजुट करने के लिए इस नारे पर पार्टी. Das ist nicht der Fall. ” इसके साथ ही हिंदू समाज को एक करने पर भी भाजपा क ो बेहतर चुनावी नतीजे मिलने की उम्मीद है.

यूपी विधानसभा चुनाव में नारे के इर्द-गिर्द तय होगी रणनीति

” णनीति का रास्ता भी साफ़ कक दिया. दरअसल संघ ये मानता है कि ये शुरू से ही संघ का लक ्ष्य रहा है कि समाज को एकजुट किया जाए. संघ के पदाधिकारी कहते हैं कि ये संघ का शुरू से ही विचार रहा है कि देश को एकजुट होना चाहिए. देश बंटेगा तो समाज को नुक़सान होगा. संघ के मरसता कार्यक्रम हों या शाखा का आयोजन, स ब पर इसका सिद्धांत लागू होता है. ऐसे में आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत इसी बात पर ध्या न देने की है कि समाज को बंटना नहीं है. Es ist nicht einfach. संकेत ये भी हैं कि आने वाले दिनों में संघ इसके लिए लोगों के बीच जा कर उनकी समझ बढ़ाएगा.

Am 27. September 2027 wurde das Jahr 2027 beendet

” भले ही. ख़ासकर पिछड़ी,अनुसूचित जातियों और अति पिछड़े. वनवासी समाज तक संघ ने अपनी पहुंच बनाई है. 2014 जातियों को एक सूत्र में पिरोकर उससे वी सफलता हासिल करने में बीजेपी के Vor Kurzem, 2019 und 2024 टता रहा.

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” संघ विचारक सौरभ मालवीय मानते हैं कि हिंदू धर् म और समाज की एकजुटता संघ का लक्ष्य रहा है. सौरभ मालवीय कहते हैं कि ‘संघ एक सामाजिक-सांस्क ृतिक संगठन है. भारतीय संस्कृति, सभ्यता और सनातन परम्परा सं रक्षण करना प्रत्येक हिंदू का कर्तव्य है. हिंदू धर्म रहेगा तो विश्व बंधुत्व. मानवत ा सुखी रहेगी. यही हमारा दृष्टिकोण है. राजनीति की अवसरवादिता के दुष्परिणाम को देखते. हुए भी हिंदू समाज को एक रहना चाहिए. हिंदू समाज के कमज़ोर होने और छिन्न-भिन्न होने का इतिहास हमने देखा है.’



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