शुभम मरमट / उज्जैन: ” ” उज्जैन में स्थित यह मंदिर विशेष रूप से धनतेरस के अवसर पर श्रद्धालुओं का प्रमुख आकर्षण बनता ै. “
कुबेर देव की अनोखी प्रतिमा और महिमा
कुंडेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित कुबेर जी. क Mehr als 1100 Tage vor der Abreise. इस प्तिमा को मध्यकालीन शिल्पकाों द्वार निामित माना जाता है जोकि शंगु काल के उच्चकोटि के शिल्पकाों द्वा निñमित है. ” प्रतिमा का आकर्षण इसकी तीखी नाक, उभरी हुई तोंद. और अलंकारों से सुसज्जित स्वरूप में है, जो इसे. अ द्वितीय बनाता है.
Es ist nicht einfach
Es ist nicht einfach नाभि पर शुद्ध घी और इत्र का लेप किया जाता है. सांदीपनि आश्रम के पुजारी पंडित शिवांस व्यास. ब Ich habe es nicht geschafft ेट (तोंद) पर घी मलने से विशेष लाभ होते हैं. यह माना जाता है कि धनतेरस के दिन कुबेर की नाभि Das ist alles होता है, और भक्तों के जीवन में समृद्धि आती है. “
श्रीकृष्ण से जुड़ी मान्यता
धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, कुबेर Ich habe es nicht geschafft. ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब यह प्रतिमा उन्हें आश्रम में मिली थी. Es ist nicht einfach Es ist nicht einfach, es zu tun लेकर आश्रम में आए थे. ” “
धनतेरस पर कुबेर के दर्शन का विशेष महत्व
हह व~ धनते धनते के अवस प प कुंडेश्वव महादेव मंदि में कुबे कुबे जी के द द द द द द द के सैकड़ों सैकड़ों श्द्धालु उमड़ते हैं हैं हैं हैं हैं इस. देश-विदेश से श श्द्धालु कुबे देव की पूजा-अ~ चन क क हैं औ धन-संपदा के लिए आशीआशी्वाद प्राप्त ककक क क क हैं आशी आशी आशी आशी आशी आशी आशीआशी्वाद हैं औ.
श्री यंत्र से जुड़ी विशेषता
” यह यंत्र शुभता और धन के स्थायित्व का प्रतीक है, जिससे कुबेर जी के दर्शन से समृद्धि का. आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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ERSTVERÖFFENTLICHT: 29. Oktober 2024, 22:01 IST
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