“


रोहतास. दीपावली का पर्व नजदीक आते ही उत्साह और उमंग का. माहौल हर तरफ महसूस किया जा सकता है. Es ist nicht einfach, es zu tun सजाना एक पुरानी परंपरा है, जो सुख-समृद्धि और शियों का प्रतीक मानी जाती है. इसी अवसर पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा. भ ी की जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास हो. दीपावली की सबसे खास परंपराओं में से एक है ‘डायन. दीया’ जलाना, जिसे घर के बाहर चौखट पर रखा जाता है. मान्यता है कि डायन दीया जलाने से घ में नकारात्मक शक्तियां प्वेश नहीं कक औऔ सकारात्मक ऊsal जा पsal प्वाह होता है.

” माना जाता है कि डायन दीया जलाने से घ के चाों ओ ओ एक सु सुसु्षा कवच बनता है जिससे बु बु शक्तियां घ में प्वेश नहीं प प पाती. “

Warum nicht?
काीग ीग के अनुसार, डायन दीया एक मिट्टी की आकृति आकृति का पुतला होता है जिसमें पांच छोटे-छोटे दीयों को जलाने के लिए स्थान होता है. इन दीयों. “

कुम्हारों की तैयारी
डायन दीया बनाने वाले कुम्हार दीपावली से दो मह ीने पहले ही इसकी तैयारी में लग जाते हैं. कुम्हार रामजी पंडित का कहना है ‘डायन दीया जलान े से बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती. हर साल इस दीये की बाजार में अच्छी खासी मांग. रहत ‘

दीपावली का ऐतिहासिक महत्व
दीपावली को दीपोत्सव के रूप में भी जाना जाता है. मान्यता है कि दिन दिन भगवान श्ीीी है वाषों का वनवास पूपूा कक माता सीता औाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे थे थे थे लकsal. अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत के लिए घी के दी यों से नगर को सजाया था. तब.

Schlagworte: Bihar-Nachrichten, Diwali, Diwali-Fest, Lokal18



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